शनिवार, 23 मई 2009

पेड खबर का धंधा

एक अखबार ने और गजब किया। उसने 'पेड खबर'का फार्मूला खोज निकाला। इस फार्मूले में आप अपनी मनपंसद खबरनुमा विज्ञापन इतनी चालाकी से छपवा सकते हैं कि चुनाव आयोग के फरिश्तों को भी इस गोरखधंधे का पता नहीं चलता। जिन विज्ञापननुमा खबरों का दाम चुनाव खर्च में जुड़ना चाहिए था,लोकतंत्र के चौथे खंभे और पहले खंभे की मिलीभगत ने उसमें भी गड़बड़घोटाला कर डाला। प्रेस कौंसिल और चुनाव आयोग दोनों ही देखते रह गए। अपने खबर बहादुरों ने एक और गजब ढ़ाया। इस चुनाव से पहले लोकतंत्र के ये पहरूए किसी दल या प्रत्याशी से पैसा लेकर उसकी खबर छापने का धंधा करते थे।

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